Wednesday 23 May 2018

बीते लम्हे short story2

                      बीते लम्हे



लम्हे जुदाई को बेकरार करते है हालत मेरे मुझे लाचार करते है ,
कोई न मिला ऐसा जिस पर दुनिया लुटा देते ,
सबने दिया धोखा किस-किस को भुला देते |
दिल का दर्द दिल में ही दबाये रखे है ,
बयां किया होता तो महफ़िल को रुला देते |
बस यादों के सहारे जीता गया दर्द-ए-गम को पिता गया ,
जख्मो को अपने सीता गया |
चाह थी एक हमसफर कि मुझे ,
तुमने दिया धोखा और फिर भी मैं लड़खड़ा के चलता गया |
न साथ मिला तेरा न मिली तेरी वफाए बस मिली चंद यादें और इसके सहारे मैं जीता गया | 


                  composed by :- Bittu soni

Sunday 6 May 2018

बीते लम्हे SHORT STORY

                          बीते लम्हे 




जो पुरानी यादों में जिंदगी ढूंढा करते है
उन्हें सिर्फ दो पल कि मुश्कुराहट ही नसीब होती है,
और फिर उम्र भर कि तन्हाई एक ऐसी तन्हाई जहाँ
हम भरी महफ़िल में भी अकेले हो जाते है,
और अधुरापन भी हमे पूरा लगने लगता है,
एक ऐसी मनहूसियत दिल पे छा जाती है
जो चाहे भी तो मिट नही पाती है,
और वो यादें भुलाये भी भुला नहीं पातें है,
रह रह के जिस्म में गड़े कांटे कि तरह दर्द दिए जाते है ।
और हम हंस हंस के टाल दिया करते है,
क्यूंकि शायद मुकद्दर को यही मंजूर था,
क्या सिकवा हम किसी और से करे जब
मंजिल ही हमसे रूठ गयी हो,
जो नायब तौफा खुदा से मिली थी
वो हांथों से यूँ छुटी कि टूट के बिखरी
और किनारे पे जा गिरी और कस्ती हमारी डूब गयी |







                                        By :- बिट्टू सोनी 

उदासी

उदासी में खोये  क्यों हो, कुछ तो बोलो ना भला आज तुम खफा सा  क्यों हो, आंखे तो खोलो ना कशक बना कर दिल मे छुपाई...