Sunday, 10 March 2019
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यादेँ
आवारा शाम कि तरह ढलता रहा तेरी ख्यालों को पिरोता रहा गम-ए-ज़िन्दगी को जीता रहा कैसे दुहराऊ उस कहानी को मै, जिसे हर साँस में य...

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अब तुम ही हो अगर मैं हूँ मुसाफिर तो मेरी मंजिल हो तुम, मैं हूँ खोया तो मेरी हांसिल हो तुम, मैं हूँ दवा तो म...
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क्या बताऊं कैसी है माँ, धरती पे भगवान जैसी है माँ । हर दर्द को सहती है, पर जुबां से कुछ नही कहती है, सारे दुखरे को खुद में स...
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हसीं रात रात के इस आखरी पहर में कोई ख्वाब सताने लगी, न जाने क्यों तुम फिर याद आने लगी। अब तो तेरी याद तड़पाने लगी, दूर...

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