क्या बताऊं कैसी है माँ,
धरती पे भगवान जैसी है माँ ।
हर दर्द को सहती है,
पर जुबां से कुछ नही कहती है,
सारे दुखरे को खुद में समेट लेती है,
बातें बना-बना कर हमें हंसाती है ।
क्या बताऊं कैसी है माँ,
धरती पे भगवान जैसी है माँ ।
आखें परेशानियाँ बयां करती है,
पर होंठो पे हमेश मुस्कान रहती है ।
जहाँ भी पाया धूप का साया,
वहाँ पे मिली उनकी आाँचल का छांया।
क्या बताऊं कैसी है माँ,
धरती पे भगवान जैसी है माँ ।
हमारे साथ अंधेरे में भी उजाला बन कर चलती है,
क्या बताऊँ कितना तकलीफ सहती है ।
मैं क्या कहूँ तारीफ में उनकी,
शब्द कम पर जाती है,
माँ तेरी याद बहुत आती है ।
क्या बताऊं कैसी है माँ,
धरती पे भगवान जैसी है माँ ।
BY : - BITTU SONI
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