सिगरेट पिता हूँ मैं
तेरे जाने के बाद भी जीता हूँ मैं,
हाँ अब सिगरेट पिता हूँ मैं |
ऐसे तो धुआं मीठी नहीं होती है ,
हाँ लेकिन तेरी कड़वी यादों को उड़ने के लिए पिता हूँ मैं |
हाँ अब सिगरेट पिता हूँ मैं |
अपनी बेचैनी को हवा में उदा देता हूँ ,
और लोग कहते है, सिगरेट बहुत पिता हूँ मैं|
तुझे हर पल याद करता हूँ मैं ,
हाँ अब सिगरेट पिता हूँ मैं |
:- बिट्टू सोनी
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