आवारा शाम कि तरह ढलता रहा
तेरी ख्यालों को पिरोता रहा
गम-ए-ज़िन्दगी को जीता रहा
कैसे दुहराऊ उस कहानी को मै,
जिसे हर साँस में याद करता रहा
पुरानी दर्द
के सहारे जीता रहा
तेरी यादों को संजोता रहा
न चाहते हुए तुझे याद करता रहा
फूलों कि तरह मैं बिखरता रहा
सायद एक दिन तुम मिलोगी
बस इसी ख्वाइस में जीता रहा \
By:- Bittu Soni