दास्ताँ-ए-दिल
तेरे इश्क मे दिल टुटा है न जाने तकदीर किस तरह मुझसे रूठा
है ,
अजीब सा हाल है इन दिनों तबियत का ख़ुशी ख़ुशी नहीं और दर्द
बुरा नही लगता है|
बन गया बंजारा तेरे बाद, न अब होश है किधर जाऊंगा,
बस तेरे याद में जीता हूँ और दर्द-ए-गम को पिता हूँ,
अब जख्मो को अपने सीता हूँ ,न जाने किस तरह सहता हूँ |
बस चाह थी एक हमसफर कि मुझे,
तुम ने दिया धोखा और मैं उसी
राह में लड़खड़ा के चलता रहा ,
न मिला साथ तेरी न मिली वफाये तेरी,
बस मिली याद तेरी और इसके सहारे जीता रहा |
अब तो एक पल में हज़ार दफा देखते है तस्वीर तुम्हारी लेकिन
तुम्हे खबर होती नही ,
अभी भी है दिल को उम्मीद तुम्हारी पर ए उम्मीद भी खत्म होती
नही |
रचनाकर :- बिट्टू सोनी